Monday, April 29, 2019

उसकी खूबसूरती

Her beauty
उसकी खूबसूरती

उनके बारे में भी आज लिखना चाह है मैंने,
खूबसूरत चांद को कागज़ में समेटना चाह है मैंने।
लेकिन समझ नही आ रहा क्या लिखूं,?
उनकी नशीली आंखों के बारे में लिखूं?
या फिर लिखूं उनके वो घुंगराले बाल?
या लिखूं घायल कर देने वाली उनकी चाल।
उनकी आंखों का काजल भी कितना इतराता होगा,
खुद को इस जहां में सबसे खुशनसीब पाता होगा।
उनकी आँखों को वो प्यारा चश्मा और नशीला बनाता है,
उन्हें देख वो चांद भी खुद को कमजोर पाता है।
उनके वो  प्यारे होठ और उसमें गुलाबी रंग,
उनके वो उलझे झुल्फे और उसका रेशम रंग।
छोटी सी चिंता में बच्चा बन पेन को मुंह चबाना,
चेहरे पे आए झुलफो को नादानी से पीछे करना।
यही छोटी छोटी अदायें तो हम जैसो को मार देती है,
रहे कहीं भी निगाये तो उन्ही की और मुड़ जाती है।
जिन खूबसूरती ने हमे पागल बनाया है,
देखो आज उन्हें यहां सजाया है।
अभी तो बहुत कुछ लिखना है,
लेकिन क्या करें? उन्हें दुनिया की नजरों से भी तो बचाना है।

नितीश कुमार
Nitish Kumar

Wednesday, April 17, 2019

लोगो को बदलते देखा है हमने

जिनके हाथ पकड़कर चलना सीखा,
जिनके कंधो पे चढ़कर दुनिया को देखा,
उन्हें ही घरों से धक्के मारकर,
निकालते देखा है हमने।
लोगो को बदलते देखा है हमने।।

चंद रुपयों के लिए अपनो से झगड़ते,
और गैरो से रिश्ते बनाते देखा है हमने।
मंदिर में लाखों का दान करते,
और फकीरो को गालियां देते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

जिस देश से सब कुछ लिया,
उस देश को ही लूटते देखा है हमने।
जिस भारत माँ ने नाम बनाया,
उनका ही अपमान करते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

जिन शिक्षको से शिक्षा का पाठ लिया,
उन्हें पैसो का पाठ पढ़ाते देखा है हमने।
जिन किताबो से विद्या को लिया,
उन किताबो को फेकते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

जिन संस्कृति से दुनिया में पहचान बनाई,
उन संस्कृति को ही खोते देखा है हमने।
जिन के उपकारों से मंजिल पायी,
उन्हें ही भूलते देखा है हमने।।
लोगों को बदलते देखा है हमने।

जिन के लिए कमाते है देर रात तक,
उनसे ही दो पल बात ना करते देखा है हमने।
लोगो को जन्म से मृत्यु तक,
कई रंग बदलते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

नितीश कुमार
Nitish Kumar

Friday, April 12, 2019

याद आती है


याद आती है हमारी पहली मुलाकात,
जब जागे थे हमारे प्यार भरे जज़्बात।

उस दिन अचानक आपका हमसे यू टकरा जाना,
दो पलो के लिए ही मगर आपका हमारे सामने आना,
वो हमारा हिचकिचाना और आपका हमे देख मुस्कुराना,
फिर वो हमारा शर्मा जाना और आपकी यादों में खो जाना,
क्या होता है प्यार हमने उसी हसीन पल में था जाना।

याद आती है हमारी दुसरी मुुलाकात,
जब हुई थी हमारी सहमी सी बात।

हमने घबराते हुए आपसे आपका नाम पूछ लिया,
आपने भी हमें शरमाते हुए अपना नाम बता दिया।
शरमाते घबराते समझ लिए थे एक दूसरे के जज़्बात,
बातो बातो में अपने हाथों में लिया था आपका हाथ,
और वही से शुरु हो गयी थी हमारे प्यार की पहली बात।।

याद आती है हमारी अगली मुलाकात,
मोहब्बत सी पूर्णिमा की वो रात।

आपने तो आँखें भी ना मिलाई थी,
हमे देख कर तो स्वप्न परियां भी शर्मायी थी,
जुगनुओं ने भी हमे देेख कर अपनी शरारतें दिखाई थी।
भूल कर भी नही भूल सकता मै वो हसीन रात,
क्योंकि वही से हुई थी हमारे पहले प्यार की शुरुआत।।

याद आंती है हमारी सारी मुलाकाते,
और प्यार भरी हमारी सारी बाते।

नितीश कुमार
Nitish kumar

Thursday, April 11, 2019

तुझे अपना नाम बनाना है


मत सुन क्या बोलती है ये दुनिया,
बस ढूंढ तू अपने अंदर की कमियां।
इन कमियों में तुझे सुधार लाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

ये दुनिया तो चाँद में भी दाग निकाल लेती है,
और खुद के दाग को बेदाग कहा देती है।
तुझे इनके नजरियों को बदलना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

मत सोच क्या लिखा है तेरे मुकदर में,
बस ढूंढ तू हुनर अपने अंदर में।
तुझे उन हुनर को मजबूत बनाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

तुझे अपना लक्ष्य तय करना है,
उस लक्ष्य पे निरंतर चलना है।
बिना रुके उस लक्ष्य को पाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

तू तो आज सिर्फ एक कोयला है,
माना तू आपने घरवालों का लाड़ला है।
लेकिन सोना बनने के लिए खुद को आग में जलाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

अभी तो तुझे खुद से लड़ना शुरू करना है,
खुद को खुद से रुबरु करना है।
अपने अंदर छुपी ताकत को जगाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

आज से ही तुझे खुद में वदलाव लाना है,
निरंतर खड़ा हिमालय जैसा स्वाव लाना है।
खुद को इस दुनिया से अलग बनाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना हैै।।

अभी से ही तुझे मोह माया हटाना है,
दुनिया की परवाह किये बिना लक्ष्य पाना है।
जिंदगी के सफर में हर मुसीबतों से लड़ना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

नितीश कुमार
Nitish Kumar

Saturday, April 6, 2019

चुनाव के दिन

election-days
देश में चुनाव के दिन नजदीक आ गए है,
हमारे छुपे नेता अपने घरों से बाहर आ गए है।
अब वो टीवी और अखबारों में छा गए है,
करने झूठे वादे अब वो हमारे बीच आ गए है।।

लोगो की परेशानियां भी नेताओ को नजर आने लग गई है,
गरीबों की फ़िक्र भी उन्हें सताने लग गई है।
देश की जनता भी नेताओ को अजमाने लग गई,
'अब क्यों आयी हमारी' याद उनसे पूछने लग गई है।।

गरीब के टूटे घर भी नेताओ की भीड़ आ गई है,
अब तो हर घरों में रोशनी की चमक आ गई है,
हर पानी के नलो में पानी की बोच्छार आ गई है,
अब तो नेताओ की नयी नयी योजनाएं आ गई है।

बच्चा, बूढ़ा, जवान सब के वो हाथ जोड़ रहा है,
देखो तो वो नेता रोजाना गरीबों के पैर छू रहा है।
कोई दिल्ली को विशेष राज्य बनाने का वादा कर रहा है,
तो कोई वर्तमान सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है।।

कोई 72000 की योजना का लालच दे रहा है,
कोई मंदिर मस्जिद के चक्कर लगा रहा है।
कोई देश की जनता को चौकीदार बना रहा है,
यही तो लोकतंत्र का त्योहार देश में छा रहा है।।

कोई तो मां गंगा की बेटी भी बन रही है,
किसी को हराने के लिए दले आपस में मिल रही है।
दले एक दूसरे पर भाषणों का प्रहार कर रही है,
लेकिन हमारे देश की  जनता ये सब देख रही है।।

मेरे देश के लोग तो ये जानते है,
ये माहौल हर पांच वर्ष पे दिख जाते है।
ये नेता झूठे भाषण देते रहा जाते है,
जीतने के बाद वो अपने वादे भूल जाते है।।

देश की जनता भी है समझदार,
कौन है हम सब का सही उम्मीदवार,
कौन चलाएगा देश में सही सरकार,
वहीं जीतेगा यह लोकतंत्र का त्योहार।

नितीश कुमार
Nitish Kumar