Sunday, December 29, 2019

भूतिया मकान


Horror Story
Haunted House

भूत, प्रेत, साया, डायन आदि पर आप चाहे विश्वास करते हो या नहीं, लेकिन उनके अस्तित्व को आप पूरी तरह नकार भी नहीं सकते हैं। यह एक ऐसा विषय है जिस पर काफी बातचीत होती है लेकिन इसका सच केवल वही जानता है जो इसे महसूस करता है।

स्कूल में हमारा स्पोर्ट का पीरियड था। हम 6-7 बच्चों ने डिसाइड किया आज हम ग्राउंड में नही जायेगे। यहीं क्लास में बैठ के गप्पे मरेंगे। हम सब एक सर्किल बना कर क्लास में बैठ के अपनी बाते करने लगे। अचानक वहाँ बातो बातो में भूतों की बात होने लगी। अब जैसा हर जगह होता है कि 'भूत-प्रेत होते है या नही?' इस टॉपिक पर बहस होने लगी। कोई कहने लगा  होते है कोई कहता नही होते। इन्ही आवाजों के बीच एक धीरी सी सहमी हुई आवाज आती है "होते है! कोई मानो या नही, लेकीन होते है, मैंने देखा है!" चारो तरफ सन्नाटा पसर गया। यह आवाज थी एक मेरे क्लासमेट की। सबके मुँह से एक साथ निकला।
कब? कहाँ? कैसे? 

(अब कहानी उसके शब्दों में)

ये बात तब की है जब मै 13 साल का था। हम जिस पार्क में खेला करते थे उसके पीछे एक टूटा फूटा दो मंजिला मकान था। जो भूतिया मकान के नाम से जाना जाता था। कहते थे कि इस मकान में एक वेल सेटल्ड फैमिली रहती थी, पति पत्नी और उनका एक लड़का उम्र कुछ 11-12 साल होगी। अचानक एक बीमारी से उस लड़के की मौत हो गई थी। इस दुख का बोझ वो दोनों नही उठा पाए, और कुछ दिनों बाद उनकी भी मौत हो गई। उसके बाद काफी लोगो ने उस मकान में नकारात्मक शक्ति होने का दावा करने लगे।

हम एक दिन बरसात के दिनों में शाम को उस पार्क में खेल रहे थे। आसमान को पूरी तरह बदलो ने ढक रखा था। सुन सुन कर ठंडी हवाएं कानो को छू कर गुजर रही थी। खेलते खेलते हमारी बॉल उस मकान में चली गयी। अब क्या? सब कुछ ना कुछ बोलने लगे।
कौन जाएगा बॉल लेने?
जिसने मारी है वो लाएगा।
रहने देते है शाम हो गयी अब कौन जाएगा?
मै उस वक़्त थोड़ा हिम्मत वाला था, मैंने बोला सब साथ में चलते है।
पागल है क्या! अंधेरा सर पर है और तू भूतों से पंगा लेगा?
भूत-प्रेत कुछ नहीं होते।
होते है! मम्मी बताती है।
हाँ, नही जायेगे, चलो घर चले, वैसे ही डर लग रहा है।
सही बोल रहा है ये, साथ में चलते है। (मेरे एक दोस्त ने मेरा साथ दिया)
नही मै नही जाऊँगा। डर लग रहा है।
हाँ! इस घर में भूत है मै भी नही जाऊँगा।
(अचानक एक आवाज आती है पीछे से)
अरे! नही है इस घर में भूत, मै एक दिन गया था।
(कोई 11-12 उम्र का लड़का हमारी तरफ आते हुए बोलता है)
तुम कौन?
अरे! मै भी यही पास में रहता हूँ। मै एक दिन गया था इस घर मे। कुछ भी ऐसा वैसा नहीं था। चलो सब साथ मे चलते है।
तुम्हें तो कभी यहाँ हमने देखा नही।
मै भी तो यही खेलता हु पता नहीं क्यों नहीं देखा? चलो जल्दी चलते है फिर घर भी जाना है।
हां यार चलते है, फुर्र से जाकर बॉल ले आते है। (मैंने उसकी बात में हामी भरी)
(अब सब ने हिचकिचाहट में हाँ में अपना सर हिला दिया)

अब हम कितने भी हिम्मत वाले क्यों ना हो, लेकिन दिल मे थोड़ा डर तो रहता ही है। हम सब धीरे धीरे घर की और बढ़ने लगे, पैर लड़खड़ा रहे है, सर्द हवाएं छू कर गुजर रही है। सूरज छुपने को तैयार है। बारिश होने से पहले का वो मंजर नजर आ रहा है। अचानक बादल गरजता है।
मम्मी! (एक लड़का चिलाता है)
अरे! कुछ नही हुआ बारिश होने वाली है, जल्दी चलते है। (उस लड़के ने गुस्से में कहा)
उस घर का मै दरवाजा खोलता हूं, घर की और गहरी सांस लेते हुए हम आगे बढ़ते है। घर मे थोड़ा अंधेरा है। चारो और दीवारों पर मिट्टी की परत जमी है। हर तरफ मकड़ी के बड़े बड़े जाले है। जिसमे मकड़ियां खुद के ही जाल में फस कर तड़प रही है और मरने का इंतजार कर रही है। हम काँपते हुए आगे बढ़ रहे है। जैसे जैसे कदम आगे बढ़ रहे है दरवाजे से आ रही रोशनी कम होती जा रही है। घर का तापमान धीरे धीरे कम होता प्रतीत हो रहा है। सन्नाटा पसरा हुआ है। एक दूसरे की सांसे हमे सुनाई दे रही है। हम घर के काफी अंदर पहुंच गए है। हमारा शरीर ठंडा हो रहा है। अचानक किसी के रोने की आवाज आती है। गला हमारा भर गया। सांसे रुक गयी। सब चिलाते हुए भागने लगे। उन सब के पीछे मै भी जैसे ही दो कदम भागा किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। गले से आवाज निकलना बंद हो गयी। रोंगटे खड़े हो गए। पैर ठंडे पढ़ गए। शरीर वही जम गया। सब घर से भाग गए है। अब अकेला सिर्फ मै इस घर मे! 
अरे! मै हूँ, डर क्यों रहे हो? देखो! बिल्ली रो रही है। (जो लड़का हमे बाहर मिला था उसने मुझे रोकने के लिए मेरा हाथ पकड़ा था।) 
भाई तुम भी चलो, सब भाग गए हम ही दोनों अकेले रह गए है। बहुत डर लग रहा है मुझे। (मैं डरते हुए उस लड़के को कहता हूं)
मै साथ मे हु ना! डरना क्या? बस बॉल ढूंढ लेते है। (ये बोलते ही वो आगे बढ़ता है, मेरे कदम भी नाजाने ना चाहते हुए भी उसके पीछे बढ़ने लगते है)
आगे मैं ये क्या देखता हूं? वहां एक पूजा का सिहांसन बना हुआ है। बीच मे यज्ञ की जगह जिसमे कुछ जली हुई लकड़ियों की राख है। उसके चारों तरफ़ बैठने की गद्दी है। लग रहा है कुछ दिन पहले ही वहां यज्ञ हुआ है। ये क्या? मुझे धुएं की खुशबू महसूस हो रही है। लग रहा है अभी अभी कोई यहां यज्ञ करने लगा। घर पूरा ठंडा हो गया है। चेहरे पे पसीना। वहां एक तस्वीर है जिसपे माला है। तस्वीर देखने के लिए मै आगे बढ़ता हूं। तस्वीर पलट कर देखता हूँ। सांसे रुक गयी। पीछे से कोई जोर जोर से हंसने लगा। मै दरवाजे की ओर भागा। दरवाजा बंद हो गया। मै ऊपर की सीढ़ियों की ओर दौड़ा। बादल फिर गरज रहे है। हसने की आवाज थमने का नाम ही नही ले रही। मै सीढ़ियों से टकरा कर नीचे गिरता हूं। उठा नही जा रहा लेकिन फिर भी पूरी ताकत लगा कर उठता हूं। जितनी ताकत है उतनी ताकत से ऊपर की ओर दौड़ रहा हूं। लग रहा है कोई छाया भी मुझे पकड़ने मेरे पीछे दौड़ रहा है। जैसे जैसे कदम बढ़ रहे है दिल की धड़कने और तेज होती जा रही है। ये क्या? ऊपर तो पूरा अंधेरा है, कहि कुछ भी नहीं दिख रहा। चिलाया भी नहीं जा रहा है।शरीर पूरा हल्का हो गया है। लग रहा है अब हिम्मत नहीं है कुछ भी करने की। मैं अब पूरी हिम्मत हार चुका हूं। एक छोटी सी रौशनी नजर आयी। यही रोशनी अब उम्मीद लेकर आयी है। मै खुशी से उस रौशनी की और बढ़ने लगा। ये रोशनी तो स्ट्रीट लाइट की है जो बालकनी के दरवाजे से आ रही है। मैं पूरी ताकत लगा कर दरवाजा खोलता हु। अब मै घर की बालकनी पर पहुच गया। बहार खड़े मेरे दोस्त चिला रहे है। 
क्या हुआ? 
क्या हुआ?
बहार आजा।
पागल है क्या तू? ऊपर क्या कर रहा है?
जल्दी नीचे आ।
चल अब घर चलते है।
बादल जोर जोर से गरज रहे है। सूरज डूब चुका है। रात हो चुकी है। चारो और अंधेरे के बीच स्ट्रीट लाइट के नीचे दोस्तो का डरा हुआ चेहरा। मुझपे बारिश की बूंदे पड़ने लगी। मेरे जुबान से शब्द बहार नही आ रहे। मै कुछ बोलना चाह रहा हूं, लेकिन लग रहा है मुझे कोई बोलने से रोक रहा है। अचानक मै बालकनी से नीचे गिर गया। धीरे धीरे आँखे बंद हो गयी और जब खुली तो मै हॉस्पिटल में था।

(अब खुद मेरे शब्दों में कहानी)

अब मेरे दोस्त की इस कहानी के बाद हमारे स्कूल के उस क्लास में हम 6-7 बच्चे बस एक दूसरे का चहरा देख रहे थे।
मैंने अपने उस दोस्त से धीरी आवाज में पूछा "जो लड़का तुझे बहार मिला था, उसका क्या हुआ?"
मेरे दोस्त ने सांसे भरते हुए पसीना पोछते हुए आंखों में आँखे डाल कर (उसकी आँखों में डर था) धीमी आवाज में कहा "वो तस्वीर उस लड़के की ही थी, और उसी ने मुझे बालकनी से धक्का दिया था।"

Nitish Kumar
नितीश कुमार


For more such type of horror stories in hindi, poems, love poems, motivational poems, poems on social issues (all poems in hindi), shayari, love shayari, Do regular visit to this blog.
nitishkealfaaz.blogspot.com