Sunday, December 29, 2019

भूतिया मकान


Horror Story
Haunted House

भूत, प्रेत, साया, डायन आदि पर आप चाहे विश्वास करते हो या नहीं, लेकिन उनके अस्तित्व को आप पूरी तरह नकार भी नहीं सकते हैं। यह एक ऐसा विषय है जिस पर काफी बातचीत होती है लेकिन इसका सच केवल वही जानता है जो इसे महसूस करता है।

स्कूल में हमारा स्पोर्ट का पीरियड था। हम 6-7 बच्चों ने डिसाइड किया आज हम ग्राउंड में नही जायेगे। यहीं क्लास में बैठ के गप्पे मरेंगे। हम सब एक सर्किल बना कर क्लास में बैठ के अपनी बाते करने लगे। अचानक वहाँ बातो बातो में भूतों की बात होने लगी। अब जैसा हर जगह होता है कि 'भूत-प्रेत होते है या नही?' इस टॉपिक पर बहस होने लगी। कोई कहने लगा  होते है कोई कहता नही होते। इन्ही आवाजों के बीच एक धीरी सी सहमी हुई आवाज आती है "होते है! कोई मानो या नही, लेकीन होते है, मैंने देखा है!" चारो तरफ सन्नाटा पसर गया। यह आवाज थी एक मेरे क्लासमेट की। सबके मुँह से एक साथ निकला।
कब? कहाँ? कैसे? 

(अब कहानी उसके शब्दों में)

ये बात तब की है जब मै 13 साल का था। हम जिस पार्क में खेला करते थे उसके पीछे एक टूटा फूटा दो मंजिला मकान था। जो भूतिया मकान के नाम से जाना जाता था। कहते थे कि इस मकान में एक वेल सेटल्ड फैमिली रहती थी, पति पत्नी और उनका एक लड़का उम्र कुछ 11-12 साल होगी। अचानक एक बीमारी से उस लड़के की मौत हो गई थी। इस दुख का बोझ वो दोनों नही उठा पाए, और कुछ दिनों बाद उनकी भी मौत हो गई। उसके बाद काफी लोगो ने उस मकान में नकारात्मक शक्ति होने का दावा करने लगे।

हम एक दिन बरसात के दिनों में शाम को उस पार्क में खेल रहे थे। आसमान को पूरी तरह बदलो ने ढक रखा था। सुन सुन कर ठंडी हवाएं कानो को छू कर गुजर रही थी। खेलते खेलते हमारी बॉल उस मकान में चली गयी। अब क्या? सब कुछ ना कुछ बोलने लगे।
कौन जाएगा बॉल लेने?
जिसने मारी है वो लाएगा।
रहने देते है शाम हो गयी अब कौन जाएगा?
मै उस वक़्त थोड़ा हिम्मत वाला था, मैंने बोला सब साथ में चलते है।
पागल है क्या! अंधेरा सर पर है और तू भूतों से पंगा लेगा?
भूत-प्रेत कुछ नहीं होते।
होते है! मम्मी बताती है।
हाँ, नही जायेगे, चलो घर चले, वैसे ही डर लग रहा है।
सही बोल रहा है ये, साथ में चलते है। (मेरे एक दोस्त ने मेरा साथ दिया)
नही मै नही जाऊँगा। डर लग रहा है।
हाँ! इस घर में भूत है मै भी नही जाऊँगा।
(अचानक एक आवाज आती है पीछे से)
अरे! नही है इस घर में भूत, मै एक दिन गया था।
(कोई 11-12 उम्र का लड़का हमारी तरफ आते हुए बोलता है)
तुम कौन?
अरे! मै भी यही पास में रहता हूँ। मै एक दिन गया था इस घर मे। कुछ भी ऐसा वैसा नहीं था। चलो सब साथ मे चलते है।
तुम्हें तो कभी यहाँ हमने देखा नही।
मै भी तो यही खेलता हु पता नहीं क्यों नहीं देखा? चलो जल्दी चलते है फिर घर भी जाना है।
हां यार चलते है, फुर्र से जाकर बॉल ले आते है। (मैंने उसकी बात में हामी भरी)
(अब सब ने हिचकिचाहट में हाँ में अपना सर हिला दिया)

अब हम कितने भी हिम्मत वाले क्यों ना हो, लेकिन दिल मे थोड़ा डर तो रहता ही है। हम सब धीरे धीरे घर की और बढ़ने लगे, पैर लड़खड़ा रहे है, सर्द हवाएं छू कर गुजर रही है। सूरज छुपने को तैयार है। बारिश होने से पहले का वो मंजर नजर आ रहा है। अचानक बादल गरजता है।
मम्मी! (एक लड़का चिलाता है)
अरे! कुछ नही हुआ बारिश होने वाली है, जल्दी चलते है। (उस लड़के ने गुस्से में कहा)
उस घर का मै दरवाजा खोलता हूं, घर की और गहरी सांस लेते हुए हम आगे बढ़ते है। घर मे थोड़ा अंधेरा है। चारो और दीवारों पर मिट्टी की परत जमी है। हर तरफ मकड़ी के बड़े बड़े जाले है। जिसमे मकड़ियां खुद के ही जाल में फस कर तड़प रही है और मरने का इंतजार कर रही है। हम काँपते हुए आगे बढ़ रहे है। जैसे जैसे कदम आगे बढ़ रहे है दरवाजे से आ रही रोशनी कम होती जा रही है। घर का तापमान धीरे धीरे कम होता प्रतीत हो रहा है। सन्नाटा पसरा हुआ है। एक दूसरे की सांसे हमे सुनाई दे रही है। हम घर के काफी अंदर पहुंच गए है। हमारा शरीर ठंडा हो रहा है। अचानक किसी के रोने की आवाज आती है। गला हमारा भर गया। सांसे रुक गयी। सब चिलाते हुए भागने लगे। उन सब के पीछे मै भी जैसे ही दो कदम भागा किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। गले से आवाज निकलना बंद हो गयी। रोंगटे खड़े हो गए। पैर ठंडे पढ़ गए। शरीर वही जम गया। सब घर से भाग गए है। अब अकेला सिर्फ मै इस घर मे! 
अरे! मै हूँ, डर क्यों रहे हो? देखो! बिल्ली रो रही है। (जो लड़का हमे बाहर मिला था उसने मुझे रोकने के लिए मेरा हाथ पकड़ा था।) 
भाई तुम भी चलो, सब भाग गए हम ही दोनों अकेले रह गए है। बहुत डर लग रहा है मुझे। (मैं डरते हुए उस लड़के को कहता हूं)
मै साथ मे हु ना! डरना क्या? बस बॉल ढूंढ लेते है। (ये बोलते ही वो आगे बढ़ता है, मेरे कदम भी नाजाने ना चाहते हुए भी उसके पीछे बढ़ने लगते है)
आगे मैं ये क्या देखता हूं? वहां एक पूजा का सिहांसन बना हुआ है। बीच मे यज्ञ की जगह जिसमे कुछ जली हुई लकड़ियों की राख है। उसके चारों तरफ़ बैठने की गद्दी है। लग रहा है कुछ दिन पहले ही वहां यज्ञ हुआ है। ये क्या? मुझे धुएं की खुशबू महसूस हो रही है। लग रहा है अभी अभी कोई यहां यज्ञ करने लगा। घर पूरा ठंडा हो गया है। चेहरे पे पसीना। वहां एक तस्वीर है जिसपे माला है। तस्वीर देखने के लिए मै आगे बढ़ता हूं। तस्वीर पलट कर देखता हूँ। सांसे रुक गयी। पीछे से कोई जोर जोर से हंसने लगा। मै दरवाजे की ओर भागा। दरवाजा बंद हो गया। मै ऊपर की सीढ़ियों की ओर दौड़ा। बादल फिर गरज रहे है। हसने की आवाज थमने का नाम ही नही ले रही। मै सीढ़ियों से टकरा कर नीचे गिरता हूं। उठा नही जा रहा लेकिन फिर भी पूरी ताकत लगा कर उठता हूं। जितनी ताकत है उतनी ताकत से ऊपर की ओर दौड़ रहा हूं। लग रहा है कोई छाया भी मुझे पकड़ने मेरे पीछे दौड़ रहा है। जैसे जैसे कदम बढ़ रहे है दिल की धड़कने और तेज होती जा रही है। ये क्या? ऊपर तो पूरा अंधेरा है, कहि कुछ भी नहीं दिख रहा। चिलाया भी नहीं जा रहा है।शरीर पूरा हल्का हो गया है। लग रहा है अब हिम्मत नहीं है कुछ भी करने की। मैं अब पूरी हिम्मत हार चुका हूं। एक छोटी सी रौशनी नजर आयी। यही रोशनी अब उम्मीद लेकर आयी है। मै खुशी से उस रौशनी की और बढ़ने लगा। ये रोशनी तो स्ट्रीट लाइट की है जो बालकनी के दरवाजे से आ रही है। मैं पूरी ताकत लगा कर दरवाजा खोलता हु। अब मै घर की बालकनी पर पहुच गया। बहार खड़े मेरे दोस्त चिला रहे है। 
क्या हुआ? 
क्या हुआ?
बहार आजा।
पागल है क्या तू? ऊपर क्या कर रहा है?
जल्दी नीचे आ।
चल अब घर चलते है।
बादल जोर जोर से गरज रहे है। सूरज डूब चुका है। रात हो चुकी है। चारो और अंधेरे के बीच स्ट्रीट लाइट के नीचे दोस्तो का डरा हुआ चेहरा। मुझपे बारिश की बूंदे पड़ने लगी। मेरे जुबान से शब्द बहार नही आ रहे। मै कुछ बोलना चाह रहा हूं, लेकिन लग रहा है मुझे कोई बोलने से रोक रहा है। अचानक मै बालकनी से नीचे गिर गया। धीरे धीरे आँखे बंद हो गयी और जब खुली तो मै हॉस्पिटल में था।

(अब खुद मेरे शब्दों में कहानी)

अब मेरे दोस्त की इस कहानी के बाद हमारे स्कूल के उस क्लास में हम 6-7 बच्चे बस एक दूसरे का चहरा देख रहे थे।
मैंने अपने उस दोस्त से धीरी आवाज में पूछा "जो लड़का तुझे बहार मिला था, उसका क्या हुआ?"
मेरे दोस्त ने सांसे भरते हुए पसीना पोछते हुए आंखों में आँखे डाल कर (उसकी आँखों में डर था) धीमी आवाज में कहा "वो तस्वीर उस लड़के की ही थी, और उसी ने मुझे बालकनी से धक्का दिया था।"

Nitish Kumar
नितीश कुमार


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Thursday, August 15, 2019

15 August

Independence day shayari
तिरंगा

इस तिरंगे से ही है हमारी पहचान,
यही है हमारे देश का अभिमान।
मालूम है आज हम करेंगे इसका सम्मान,
मगर कल मत होने देना इसका अपमान।
कहीं पड़े दिखे तिरंगा तो उसे उठा लेना,
हो दिन कोई सा भी तुम रोजाना,
अपनी देश भक्ति दिखा देना।।

Nitish Kumar
नितीश कुमार

Wishes you all Very Happy Inpendence Day...
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

Jai hind... Jai jawan... jai kishan... jai vigyan...
Vande Matram... Bharat mata ki jay...

मेरी सभी बहनो को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं।

रक्षाबंधन स्वन्त्रता दिवस के दिन आया है,
हमारी बहनो के लिए आज़ादी का संदेश लाया है।

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Sunday, August 4, 2019

दोस्ती

Friendship day
Friendship

आज दोस्ती पर लिखना चाह है मैंने,
एक खूबसूरत रिश्ते को बयां करना चाह है मैंने।

खून का रिश्ता तो भगवान बनाते है,
जो रिश्ता हम बनाये वो दोस्त कहलाते है।
हर संकट की घड़ी में आपका साथ दे जाते है,
इसलिय तो ये खून के नही दिल के रिश्ते कहलाते है।।

ख़ुशियों में तो सब साथ देते है,
दुखों में जो शख्स साथ देता है।
ये दुनिया उसे दोस्त बुलाते है,
जो हरदम आपका साथ निभाते है।।

दोस्ती जिंदगी के अंधेरे में,
खुशियों की चमक लाती है।
हो कैसी भी परेशानी आपके घेरे में,
दोस्ती उसे भगा ले जाती है।।

जब कोई जिंदगी में है उलझा,
दोस्त ने ही तो है उसे समझा।
हर ग़म में आपका साथ दिया,
हर परेशानी को आपसे दूर किया।।

अगर घरवाले पेड़ो की छांव है,
तो दोस्ती उसमे शीतल हवाएं है।
हर परेशानी में घरवाले साथ देते है,
तो दोस्त भी कोनसा छोड़ के जाते है।।

नितीश कुमार
Nitish Kumar

आप सभी को मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
Wishes you all a very happy friendship day.

This is a poem on friendship in hindi for friendship day.

This poem is dedicated to all my friends specially
Ankit Yadav
Ayaan Alam
Harsh Singh
Satyam Dwivedi
Saba Karim
Suraj Singh
and all remaining ones.

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Saturday, June 22, 2019

शायरी

Attitude shayari


She: मौसम भी तो अक्सर बदल जाया करते है।

Me: मौसम की बात मत किया करो,
        वो बदलते है अपनी फितरत के लिए।
        कभी अपने दिल मे भी झाँक लिया करो,
        आप बदलते हो अपनी हसरत के लिए।।

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Sunday, June 9, 2019

Online Offline

Waiting-to-be-online
Online-Offline

ऑनलाइन ऑफलाइन का खेल बड़ा मजेदार है,
इसमे छुपा प्यारा सा इंतज़ार है।
दो दिल एक दूसरे के लिए बेकरार है,
एक बोले कब होंगे तेरे दीदार?
दूसरा बोले थोड़ी देर और रुक जा मेरे यार।।

Nitish Kumar
नीतीश कुमार

Dedicated to two love birds.

Wednesday, May 29, 2019

वो भी क्या दिन थे

Sad girl poem
वो भी क्या दिन थे

वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे,
तेरी छोटी सी खुशी को भी हम बड़ी में कन्वर्ट किया करते थे।
वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे।।

साथ बैठना, साथ खाना और साथ रोया करते थे,
तेरी हर छोटी सी खुशी के लिए लड़ा करते थे।
तेरे साथ किसी और का होना बहुत चिड़ा करते थे,
वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे।।

ना अब वो तो वापस आएंगे ना ही तेरी वो बातें,
बस एक तेरी सारी मेमोरी के सहारे जिया करते थे।
तेरा होना बहुत मायने रखता था, 
जब तेरे को देख के जिया करते थे,
वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे।।

आज भी किसी और के साथ देखकर बुरा तो लगता है,
जब वक्त ही बदल गया तो फिर तेरे से बदलने का क्या उम्मीद किया करते थे।
वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे।।

तेरे साथ रहने के लिए विश मंगा करते थे,
जब दोस्त ही अपने नही रहे तो बाकियों से क्या उम्मीद किया करते थे।
तेरे साथ हर एक दिन नया सा लगता था,
पर यू नही सोचा था की एक दिन तू ही पूरा नया हो जाएगा।
वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे।।

Saturday, May 25, 2019

सूरत हादसा

Surat fire incident
सुूरत हादसा

वो इतिहास लिखने की नींव रख रहे थे,
वो इतिहास बन के रहा गए।
वो किसी हादसे का नही,
प्रशासन की लापरवाही का शिकार हो गए।।

सूरत हादसे में मारे गए बच्चे और शिक्षक को भावपूर्ण श्रदांजलि। उनकी आत्मा को न्याय और शांति मिलने की कामना करता हूं।

क्या हुआ था?

मई 24, 2019 के दुपहर गुजरात के सूरत में 4 मंजिला तक्षिला कॉम्प्लेक्स में शार्ट सर्किट की वजह से आग लग गयी। आग लगने के वक़्त वहाँ कक्षा 11 की गणित की कोचिंग क्लास चल रही थी जिसमे 40-45 बच्चे पढ़ रहे थे। आग से बचने के लिए कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले कुछ छात्रों ने ऊपर से छलांग लगा दी । हादसे में 23 बच्चो समेत अध्यापक की मौत हो गयी। हादसे में प्रशासन की लापरवाही पाई गई।

Friday, May 24, 2019

शायरी

One sided love

नज़रे भी तुम ही मिलाती हो,
नजरअंदाज भी तुम ही करती हो,
समझ आता है मोहब्बत तुम हम ही से करती हो,
मगर इजहार करने से किस्से डरती हो?

Nitish Kumar
नितीश कुमार

Tuesday, May 14, 2019

मुझे पसंद है

Beautiful girl
मुझे पसंद है
उनका यूं आँखे झुका के चलना,
चेहरे पे अलग सी मुस्कान रखना,
हर दफा मुह में पेन को चबाना,
थोड़ी थोड़ी देर में झुलफो को पीछे करना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

छोटी छोटी बातों में बड़ी खुशियां ढूंढना,
चाहे कैसा भी हो गम मगर शांत रहना,
हर बात को बड़ा चढ़ा के बोलना,
खुद की जुबानी खुद की तारीफ करना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

तैयार होते ही पहली तस्वीर मुझे भेजना,
मुझे पसंद आए जब ही बाहर निकलना,
नही तो दोबारा एक और तस्वीर भेजना,
और मेरे एक हाँ का बेसब्री से इंतज़ार करना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

मुझे देख कर उनका यूँ शर्मा जाना,
शर्माते हुए अपना चश्मा ठीक करना,
अपनी नशीली आंखों में और नशा भरना,
चेहरे पे आई हुई घबराहट को छुपाना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

गुड़ मॉर्निंग से गुड़ नाईट तक विश करना,
सुबह से शाम तक कि हर दास्तां सुनाना।
छोटी से छोटी बात मुझे बताना,
खुशी हो या ग़म सब मे शामिल करना।।
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

छोटी छोटी बातो पे मुह बनाना,
लाखो दफा मनाने पे भी ना मानना,
लेकिन एक चॉक्लेट देखते ही सब भूल जाना,
फिर बच्चा बन उस चॉक्लेट को खाना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

मेरे बालो को बेवजह खराब करना,
फिर उसे अपनी पसंद का बनाना,
कपड़े को अपने हिसाब से ठीक करना,
यू नही इसे यू रखा करो ये बोलना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

शरारते कर के मुझे परेशान करना,
मेरे गुस्से करने पे मुझे ही सुनाना,
फिर मेरे रूठने पे अपना प्यार दिखाना,
थोड़ी ही देर में मेरे चेहरे पे मुस्कान ला देना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

नितीश कुमार
Nitish Kumar

Wednesday, May 1, 2019

मजदूर

Labour
मजदूर

जिनके हाथ हर दफा मिट्टी में रहते है,
सुबह से शाम वो बोझ उठाते रहते है।
सूरज से पहले वो घर से निकल जाते है,
चंद्रमा के साथ देर रात वो घर को आते है।।
वो और कोई नही हमारे देश के मजदूर होते है।

जो रोजाना सबको खुशियां देते है,
मगर खुद की खुशियों को कहि बेच देते है।
जो सबके जीवन मे तो रंग भर देते है,
मगर खुद के जीवन को बेरंग छोड़ देते है।।
वो और कोई नही हमारे देश के मजदूर होते है।

सब को तो वो घर बना के देते है,
मगर खुद फुटपाथ पे सोते है।
वो मेहनत तो दिन रात करते है,
मगर पैसे नाम भर का ही लेते है।।
वो और कोई नही हमारे देश के मजदूर होते है।

जिस दिन बिन काम रह जाते है,
उस दिन वो खा नही पाते है।
झूठी मुस्कान लिए सो जाते है,
मगर बेईमानी का वो नही खाते है।।
वो और कोई नही हमारे देश के मजदूर होते है।

जो खुद का इलाज नही करवा पाते है,
परिवार के लिए सारे ग़म सहन कर जाते है।
खुद के बच्चों को स्कूल नही भेज पाते है,
हर खुशियों से वो वंचित रह जाते है।।
वो और कोई नही हमारे देश के मजदूर होते है।

नितीश कुमार
Nitish Kumar

Monday, April 29, 2019

उसकी खूबसूरती

Her beauty
उसकी खूबसूरती

उनके बारे में भी आज लिखना चाह है मैंने,
खूबसूरत चांद को कागज़ में समेटना चाह है मैंने।
लेकिन समझ नही आ रहा क्या लिखूं,?
उनकी नशीली आंखों के बारे में लिखूं?
या फिर लिखूं उनके वो घुंगराले बाल?
या लिखूं घायल कर देने वाली उनकी चाल।
उनकी आंखों का काजल भी कितना इतराता होगा,
खुद को इस जहां में सबसे खुशनसीब पाता होगा।
उनकी आँखों को वो प्यारा चश्मा और नशीला बनाता है,
उन्हें देख वो चांद भी खुद को कमजोर पाता है।
उनके वो  प्यारे होठ और उसमें गुलाबी रंग,
उनके वो उलझे झुल्फे और उसका रेशम रंग।
छोटी सी चिंता में बच्चा बन पेन को मुंह चबाना,
चेहरे पे आए झुलफो को नादानी से पीछे करना।
यही छोटी छोटी अदायें तो हम जैसो को मार देती है,
रहे कहीं भी निगाये तो उन्ही की और मुड़ जाती है।
जिन खूबसूरती ने हमे पागल बनाया है,
देखो आज उन्हें यहां सजाया है।
अभी तो बहुत कुछ लिखना है,
लेकिन क्या करें? उन्हें दुनिया की नजरों से भी तो बचाना है।

नितीश कुमार
Nitish Kumar

Wednesday, April 17, 2019

लोगो को बदलते देखा है हमने

जिनके हाथ पकड़कर चलना सीखा,
जिनके कंधो पे चढ़कर दुनिया को देखा,
उन्हें ही घरों से धक्के मारकर,
निकालते देखा है हमने।
लोगो को बदलते देखा है हमने।।

चंद रुपयों के लिए अपनो से झगड़ते,
और गैरो से रिश्ते बनाते देखा है हमने।
मंदिर में लाखों का दान करते,
और फकीरो को गालियां देते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

जिस देश से सब कुछ लिया,
उस देश को ही लूटते देखा है हमने।
जिस भारत माँ ने नाम बनाया,
उनका ही अपमान करते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

जिन शिक्षको से शिक्षा का पाठ लिया,
उन्हें पैसो का पाठ पढ़ाते देखा है हमने।
जिन किताबो से विद्या को लिया,
उन किताबो को फेकते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

जिन संस्कृति से दुनिया में पहचान बनाई,
उन संस्कृति को ही खोते देखा है हमने।
जिन के उपकारों से मंजिल पायी,
उन्हें ही भूलते देखा है हमने।।
लोगों को बदलते देखा है हमने।

जिन के लिए कमाते है देर रात तक,
उनसे ही दो पल बात ना करते देखा है हमने।
लोगो को जन्म से मृत्यु तक,
कई रंग बदलते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

नितीश कुमार
Nitish Kumar

Friday, April 12, 2019

याद आती है


याद आती है हमारी पहली मुलाकात,
जब जागे थे हमारे प्यार भरे जज़्बात।

उस दिन अचानक आपका हमसे यू टकरा जाना,
दो पलो के लिए ही मगर आपका हमारे सामने आना,
वो हमारा हिचकिचाना और आपका हमे देख मुस्कुराना,
फिर वो हमारा शर्मा जाना और आपकी यादों में खो जाना,
क्या होता है प्यार हमने उसी हसीन पल में था जाना।

याद आती है हमारी दुसरी मुुलाकात,
जब हुई थी हमारी सहमी सी बात।

हमने घबराते हुए आपसे आपका नाम पूछ लिया,
आपने भी हमें शरमाते हुए अपना नाम बता दिया।
शरमाते घबराते समझ लिए थे एक दूसरे के जज़्बात,
बातो बातो में अपने हाथों में लिया था आपका हाथ,
और वही से शुरु हो गयी थी हमारे प्यार की पहली बात।।

याद आती है हमारी अगली मुलाकात,
मोहब्बत सी पूर्णिमा की वो रात।

आपने तो आँखें भी ना मिलाई थी,
हमे देख कर तो स्वप्न परियां भी शर्मायी थी,
जुगनुओं ने भी हमे देेख कर अपनी शरारतें दिखाई थी।
भूल कर भी नही भूल सकता मै वो हसीन रात,
क्योंकि वही से हुई थी हमारे पहले प्यार की शुरुआत।।

याद आंती है हमारी सारी मुलाकाते,
और प्यार भरी हमारी सारी बाते।

नितीश कुमार
Nitish kumar

Thursday, April 11, 2019

तुझे अपना नाम बनाना है


मत सुन क्या बोलती है ये दुनिया,
बस ढूंढ तू अपने अंदर की कमियां।
इन कमियों में तुझे सुधार लाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

ये दुनिया तो चाँद में भी दाग निकाल लेती है,
और खुद के दाग को बेदाग कहा देती है।
तुझे इनके नजरियों को बदलना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

मत सोच क्या लिखा है तेरे मुकदर में,
बस ढूंढ तू हुनर अपने अंदर में।
तुझे उन हुनर को मजबूत बनाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

तुझे अपना लक्ष्य तय करना है,
उस लक्ष्य पे निरंतर चलना है।
बिना रुके उस लक्ष्य को पाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

तू तो आज सिर्फ एक कोयला है,
माना तू आपने घरवालों का लाड़ला है।
लेकिन सोना बनने के लिए खुद को आग में जलाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

अभी तो तुझे खुद से लड़ना शुरू करना है,
खुद को खुद से रुबरु करना है।
अपने अंदर छुपी ताकत को जगाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

आज से ही तुझे खुद में वदलाव लाना है,
निरंतर खड़ा हिमालय जैसा स्वाव लाना है।
खुद को इस दुनिया से अलग बनाना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना हैै।।

अभी से ही तुझे मोह माया हटाना है,
दुनिया की परवाह किये बिना लक्ष्य पाना है।
जिंदगी के सफर में हर मुसीबतों से लड़ना है,
एक दिन तुझे अपना नाम बनाना है।।

नितीश कुमार
Nitish Kumar

Saturday, April 6, 2019

चुनाव के दिन

election-days
देश में चुनाव के दिन नजदीक आ गए है,
हमारे छुपे नेता अपने घरों से बाहर आ गए है।
अब वो टीवी और अखबारों में छा गए है,
करने झूठे वादे अब वो हमारे बीच आ गए है।।

लोगो की परेशानियां भी नेताओ को नजर आने लग गई है,
गरीबों की फ़िक्र भी उन्हें सताने लग गई है।
देश की जनता भी नेताओ को अजमाने लग गई,
'अब क्यों आयी हमारी' याद उनसे पूछने लग गई है।।

गरीब के टूटे घर भी नेताओ की भीड़ आ गई है,
अब तो हर घरों में रोशनी की चमक आ गई है,
हर पानी के नलो में पानी की बोच्छार आ गई है,
अब तो नेताओ की नयी नयी योजनाएं आ गई है।

बच्चा, बूढ़ा, जवान सब के वो हाथ जोड़ रहा है,
देखो तो वो नेता रोजाना गरीबों के पैर छू रहा है।
कोई दिल्ली को विशेष राज्य बनाने का वादा कर रहा है,
तो कोई वर्तमान सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है।।

कोई 72000 की योजना का लालच दे रहा है,
कोई मंदिर मस्जिद के चक्कर लगा रहा है।
कोई देश की जनता को चौकीदार बना रहा है,
यही तो लोकतंत्र का त्योहार देश में छा रहा है।।

कोई तो मां गंगा की बेटी भी बन रही है,
किसी को हराने के लिए दले आपस में मिल रही है।
दले एक दूसरे पर भाषणों का प्रहार कर रही है,
लेकिन हमारे देश की  जनता ये सब देख रही है।।

मेरे देश के लोग तो ये जानते है,
ये माहौल हर पांच वर्ष पे दिख जाते है।
ये नेता झूठे भाषण देते रहा जाते है,
जीतने के बाद वो अपने वादे भूल जाते है।।

देश की जनता भी है समझदार,
कौन है हम सब का सही उम्मीदवार,
कौन चलाएगा देश में सही सरकार,
वहीं जीतेगा यह लोकतंत्र का त्योहार।

नितीश कुमार
Nitish Kumar