Monday, March 29, 2021

रामायण से सीख

Ramayan
रामायण

 आज ही के दिन पिछले वर्ष लॉकडाउन में दूरदर्शन पर जनता की फरमाइस पर रामायण का प्रसारण शुरू हुआ था। पूरे देश में, देश के हर राज्य में, हर मोहल्ले में, हर गली में, कहीं कहीं तो विदेशो में भी लोगो ने बढ़ चढ़ कर इसे देखा, पूरे परिवार के साथ बैठ कर देखा। बल्कि देखा ही नही, इस पल को सबने मिलकर जिया। इस रामायण प्रसारण के जिस दिन रावण मरा था, लोगो ने उस दिन एक दूसरे को दशहरा की बधाई दी थी।  6 करोड टेलीविजन पर रामायण को एक साथ देखा जाता था। रामायण का हर एक सीन हर एक किरदार कुछ ना कुछ सीखाता है। 


Ramayan
भगवान श्री राम जी


उसमे दो सीन है जिसने मुझे सोचने पे मजबूर कर दिया था। पहला सीन जिसमे महाराज दशरथ जी बिस्तर पे लेटे हुए हैं, बुरी तरीक़े से रो रहे है, और सिसक सिसक के कह रहे होते हैं, राम........मेरा राम। वो अपने राम की याद में अधमरे से हो गए है। क्या आदमियों को ऐसे सबके सामने अपना दुःख दिखाने का हक़ होता है? मतलब मुझे शायद सालों हो गए रोये हुए, हाँ बीच में कभी बुरा लगा होगा। पर प्रॉब्लम पता है क्या है? ये बात कि मुझे बुरा लग रहा है। मैंने मोबाइल उठा के देखा होगा कि किसे फ़ोन मिलाएं, किसी को मिलाया भी होगा पर उससे ये नहीं कहा होगा कि यार मुझे बुरा लग रहा है। क्यों? क्योंकि शायद वो मुझे judge करेगा।


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महाराज दशरथ जी भगवान श्री राम की याद में विलाप करते हुए


उस दिन श्री राम जी की माँ कौशल्या जी महाराज दशरथ जी से कहती हैं कि "मैं माँ हूँ, पर मैंने फिर भी धीरज नहीं छोड़ा, देखिएगा एक दिन हमारा राम वापस आएगा।" और शायद उस वक़्त को याद करके दशरथ जी फिर से बस इतना कह पाते हैं, राम.....मेरा राम। एक सूर्यवंशी सम्राट, महापराक्रमी योद्धा, असंख्य प्रजा जिनको भगवान् की तरह मानती थी वो इस दुःख में रो रहे थे कि उनका बेटा उन्हें छोड़ के चला गया। वजह चाहें जो भी हो, पर क्या उनका ऐसे रोना सही था या गलत? सवाल बस यही है।


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महाराज दशरथ जी


एक बार ये सवाल खुद से पूछियेगा और जवाब ढूंढ़ियेगा। रोना सही है या गलत?


अब दूसरे सीन के बारे में बताता हूं। 


Ramayan
भगवान श्री राम जी


जब भगवान श्री राम जी को पता चलता है कि राजा दशरथ जी नहीं रहे तो वो भी सहन नही कर पाते है, और रोने लगते हैं। उनकी आँखों में मोती से आंशु, रामायण में सिर्फ इसी दृश्य में दिखते है, वो भी इतना मार्मिक। उनको रोते देख ऋषि वशिस्ट जी तब उनसे एक बहुत ही बड़ी बात बोलते हैं, ध्यान से पढ़ियेगा और समझियेगा, वो कहते हैं कि "ये मिलना बिछड़ना तो अनिवार्य होता है, बुद्धिमान इसका शोक नहीं करते हैं।" बहुत ही ज़बरदस्त लाइन है ये। एक ही लाइन में बहुत से सवालो के उत्तर है। शायद महान और आम लोगों की समझ के बीच बस इसी लाइन का फरक होता है। मतलब रामायण में भगवान श्री राम जी भी रोते हैं, लक्ष्मण जी भी रोते हैं। यहाँ तक की इंद्रजीत के मरने पर जिसे महाज्ञानी कहा जाता था, वो रावण भी रोता है। विभीषण के बिना शायद रावण को मार पाना कठिन था, मगर फिर भी रावण के मरने पर वो भी रोया था। शायद इसीलिए मेरे हिसाब से रोना गलत बात नहीं है, गलत बात है रोते रहना...!


Copyright Disclaimer:

  • All Images, which used in this Article are from the Doordarshan's Ramayan, Directed by Ramanand Sagar.
  • इस लेख में दिखने वाली तस्वीर दूरदर्शन की रामायण की है, जिसके निर्देशक रामानंद सागर जी है

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Nitish Kumar
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