Wednesday, May 29, 2019

वो भी क्या दिन थे

Sad girl poem
वो भी क्या दिन थे

वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे,
तेरी छोटी सी खुशी को भी हम बड़ी में कन्वर्ट किया करते थे।
वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे।।

साथ बैठना, साथ खाना और साथ रोया करते थे,
तेरी हर छोटी सी खुशी के लिए लड़ा करते थे।
तेरे साथ किसी और का होना बहुत चिड़ा करते थे,
वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे।।

ना अब वो तो वापस आएंगे ना ही तेरी वो बातें,
बस एक तेरी सारी मेमोरी के सहारे जिया करते थे।
तेरा होना बहुत मायने रखता था, 
जब तेरे को देख के जिया करते थे,
वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे।।

आज भी किसी और के साथ देखकर बुरा तो लगता है,
जब वक्त ही बदल गया तो फिर तेरे से बदलने का क्या उम्मीद किया करते थे।
वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे।।

तेरे साथ रहने के लिए विश मंगा करते थे,
जब दोस्त ही अपने नही रहे तो बाकियों से क्या उम्मीद किया करते थे।
तेरे साथ हर एक दिन नया सा लगता था,
पर यू नही सोचा था की एक दिन तू ही पूरा नया हो जाएगा।
वो भी क्या दिन थे जब हम साथ रह करते थे।।

Saturday, May 25, 2019

सूरत हादसा

Surat fire incident
सुूरत हादसा

वो इतिहास लिखने की नींव रख रहे थे,
वो इतिहास बन के रहा गए।
वो किसी हादसे का नही,
प्रशासन की लापरवाही का शिकार हो गए।।

सूरत हादसे में मारे गए बच्चे और शिक्षक को भावपूर्ण श्रदांजलि। उनकी आत्मा को न्याय और शांति मिलने की कामना करता हूं।

क्या हुआ था?

मई 24, 2019 के दुपहर गुजरात के सूरत में 4 मंजिला तक्षिला कॉम्प्लेक्स में शार्ट सर्किट की वजह से आग लग गयी। आग लगने के वक़्त वहाँ कक्षा 11 की गणित की कोचिंग क्लास चल रही थी जिसमे 40-45 बच्चे पढ़ रहे थे। आग से बचने के लिए कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले कुछ छात्रों ने ऊपर से छलांग लगा दी । हादसे में 23 बच्चो समेत अध्यापक की मौत हो गयी। हादसे में प्रशासन की लापरवाही पाई गई।

Friday, May 24, 2019

शायरी

One sided love

नज़रे भी तुम ही मिलाती हो,
नजरअंदाज भी तुम ही करती हो,
समझ आता है मोहब्बत तुम हम ही से करती हो,
मगर इजहार करने से किस्से डरती हो?

Nitish Kumar
नितीश कुमार

Tuesday, May 14, 2019

मुझे पसंद है

Beautiful girl
मुझे पसंद है
उनका यूं आँखे झुका के चलना,
चेहरे पे अलग सी मुस्कान रखना,
हर दफा मुह में पेन को चबाना,
थोड़ी थोड़ी देर में झुलफो को पीछे करना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

छोटी छोटी बातों में बड़ी खुशियां ढूंढना,
चाहे कैसा भी हो गम मगर शांत रहना,
हर बात को बड़ा चढ़ा के बोलना,
खुद की जुबानी खुद की तारीफ करना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

तैयार होते ही पहली तस्वीर मुझे भेजना,
मुझे पसंद आए जब ही बाहर निकलना,
नही तो दोबारा एक और तस्वीर भेजना,
और मेरे एक हाँ का बेसब्री से इंतज़ार करना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

मुझे देख कर उनका यूँ शर्मा जाना,
शर्माते हुए अपना चश्मा ठीक करना,
अपनी नशीली आंखों में और नशा भरना,
चेहरे पे आई हुई घबराहट को छुपाना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

गुड़ मॉर्निंग से गुड़ नाईट तक विश करना,
सुबह से शाम तक कि हर दास्तां सुनाना।
छोटी से छोटी बात मुझे बताना,
खुशी हो या ग़म सब मे शामिल करना।।
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

छोटी छोटी बातो पे मुह बनाना,
लाखो दफा मनाने पे भी ना मानना,
लेकिन एक चॉक्लेट देखते ही सब भूल जाना,
फिर बच्चा बन उस चॉक्लेट को खाना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

मेरे बालो को बेवजह खराब करना,
फिर उसे अपनी पसंद का बनाना,
कपड़े को अपने हिसाब से ठीक करना,
यू नही इसे यू रखा करो ये बोलना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

शरारते कर के मुझे परेशान करना,
मेरे गुस्से करने पे मुझे ही सुनाना,
फिर मेरे रूठने पे अपना प्यार दिखाना,
थोड़ी ही देर में मेरे चेहरे पे मुस्कान ला देना,
मुझे पसंद है उनका ये सब करना।

नितीश कुमार
Nitish Kumar

Wednesday, May 1, 2019

मजदूर

Labour
मजदूर

जिनके हाथ हर दफा मिट्टी में रहते है,
सुबह से शाम वो बोझ उठाते रहते है।
सूरज से पहले वो घर से निकल जाते है,
चंद्रमा के साथ देर रात वो घर को आते है।।
वो और कोई नही हमारे देश के मजदूर होते है।

जो रोजाना सबको खुशियां देते है,
मगर खुद की खुशियों को कहि बेच देते है।
जो सबके जीवन मे तो रंग भर देते है,
मगर खुद के जीवन को बेरंग छोड़ देते है।।
वो और कोई नही हमारे देश के मजदूर होते है।

सब को तो वो घर बना के देते है,
मगर खुद फुटपाथ पे सोते है।
वो मेहनत तो दिन रात करते है,
मगर पैसे नाम भर का ही लेते है।।
वो और कोई नही हमारे देश के मजदूर होते है।

जिस दिन बिन काम रह जाते है,
उस दिन वो खा नही पाते है।
झूठी मुस्कान लिए सो जाते है,
मगर बेईमानी का वो नही खाते है।।
वो और कोई नही हमारे देश के मजदूर होते है।

जो खुद का इलाज नही करवा पाते है,
परिवार के लिए सारे ग़म सहन कर जाते है।
खुद के बच्चों को स्कूल नही भेज पाते है,
हर खुशियों से वो वंचित रह जाते है।।
वो और कोई नही हमारे देश के मजदूर होते है।

नितीश कुमार
Nitish Kumar