Sunday, May 31, 2020

कोरोना वायरस से कैसे बचें?


Covid 19
Covid-19

कल (1 जून 2020) से लॉकडॉन-5 (अनलॉक-1) शुरू हो रहा है। जिसमें लग भग सब कुछ खुल रहा है। इसका मतलब ये नही की अब आप घूमना फिरना शुरू कर दो। ये सब कुछ बस इसलिए खोला जा रहा है कि लोगो की आर्थिक स्थिति ठीक हो पाए। याद रहे कोरोना खत्म नही हुआ है, ये अब और तेजी से बढ़ रहा है। तो बस पैसे कमाने, काम करने और जरूरी चीज़ों के लिए ही घर से बाहर निकले। इसे मजाक में या हल्के में ना ले। आप अपनी जिंदगी अपने परिवार की जिन्दगी के लिए और देश के लिए घर पे ही रहे। वेवजह बिल्कुल भी घर से ना निकले। अगर कुछ महीने आप घर पर बैठ जाएंगे तो फिर से आप जिंदगी भर घूम सकते हैं मौज-मस्ती कर सकते हैं।

युवाओं के लिए एक जरुरी संदेश।

आपके पेरेंट्स अपनी जान जोखिम में डाल कर आप के लिए पैसे कमाने घर
से बाहर निकलेंगे तो आप वेवजह घर स बाहर निकल कर खुद की उनकी जान जोखिम में मत डाल देना।
जिन यार दोस्तो से आप मिलने जाओगे न, अगर भगवान ना करें आपको कोरोना हो गया ना तो उसके बाद वही यार दोस्त आपको नजर भी नही आएंगे।

कोरोना वायरस (कोविड - 19) से कैसे बचें?


जब भी आप जरूरी कामों के लिए घर बाहर जाए तो इन बातों को हमेशा ख्याल रखे और इसका पालन करें। ये आपको कोरोना वायरस (Covid-19) से बहुत हद तक कोरोना वायरस से बचा सकता है।

S - Social Distancing (समाजिक दूरी)

M - Mask (मास्क)

S - Sanitizer / Soap (सैनिटाइजर / साबुन)


Social Distancing (समाजिक दूरी)

जब भी आप घर से बाहर जाए तो सबसे जरूरी है कि सामाजिक दूरी का हर पल हर जगह हर क्षण खयाल रखें। हमेशा लोगो से कम से कम 6 फ़ीट (2 गज़) की दूरी बना कर रखे। किसी भी जगह किसी भी हालत में ये 2 गज की दूरी को कम नही होने देना है। किसी भी ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में ना आए जिन्हें कोरोना के लक्षण (जैसे बुखार और खांसी) है। 

Mask (मास्क)

मास्क को अब अपने शरीर का ही एक हिस्सा मानना है। हमेशा मास्क पहन कर रहे। बार बार मास्क को छुए नही। मास्क के रूप में आप खुद का कपड़े (3 लेयर वाला) वाला मास्क भी प्रयोग कर सकते है। कपड़ा या रुमाल को मास्क की जगह प्रयोग करते वक़्त आप इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखे कि जो हिस्सा आपने पहली बार कपड़े/रुमाल का बाहर की तरफ रखा था उसे हर बार बाहर की तरफ ही रखे। दूसरों के मास्क का प्रयोग ना करें। मास्क को रोजाना धो ले या बदल ले।

Sanitizer / Soap (सेनिटाइजर / साबुन)

दिन में बार बार सैनिटाइजर या साबुन से हाथ धोते रहे है। सेनिटाइजर का प्रयोग करते वक़्त आप सेनिटाइजर हाथ मे लेने के बाद सेनिटाइजर की बोतल को रख दे उसके बाद ही हाथ मे सेनिटाइजर लगाए, याद रहे सैनिटाइजर लगाने के बाद सैनिटाइजर की बोतल को आप न छुए या सेनिटाइजर की बोतल पर सेनिटाइजर लगा कर उसे भी डिसइन्फेक्ट(disinfect) करे। साबुन से बार बार 20 सेकंड तक हाथ धोए और हाथ धोते वक़्त अपने नल को भी साफ कर दे ताकि आपके नल पर कीटाणु ना रह जाए।

पानी की बोतल

घर से निकले से पहले अपने साथ अपनी पानी की बोतल में पानी लेना ना भूले। बहार कहि से भी पानी भरने से पहले देख ले वहां साफ सफाई होनी चाहिए। नल से पानी भरने से पहले नल को अच्छी तरह से धो लें। अपनी बोतल से किसी को पानी ना पीने दे, और ना ही दूसरों की बोतल से पानी पीयें।

चीज़ों को छूने से बचे

किसी भी अनावश्यक चीज़ों को जैसे बटन, दरवाजे, रेलिंग को न छुए। बटन और दरवाज़ों का प्रयोग करने के लिए अपने हाथ की कोनी का प्रयोग करे। 

मुह को ना छुए

किसी भी हालत में हमेशा याद रहे कि आपको अपने मुह के किसी भी हिस्से को कभी भी नही छूना है। अगर जरूरत पड़ती भी है तो छूने से पहले हाथ को साबुन या सेनिटाइजर से धो लें उसके बाद ही मुह को छुए।

सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें तो

यात्रा करने से पहले अपने हाथों को सैनिटाइज करें सुनिश्चित करें कि वाहन के ड्राइवर और स्टाफ सहित सभी यात्री मास्क पहनें हुए है। ध्यान दे कि शारीरिक दूरी बनी रहे (एक व्यक्ति पहर लाइन की हर ओर जिग-जैग तरीके में रहें) एसी को बंद रखें और ताजी हवा के लिए खिड़कियां खोल दें।

हमेशा यह याद रखें थूकें नहीं

थूक लगा कर पेज न पलटें, न नोट आदि गिनें। किसी के साथ भी खाना, पानी और बाकी समान शेयर ना करे। भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने से बचें। हाथ न मिलाएं, नमस्ते करें। खांसते या छींकते वक्त कोहनी या टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें।

घर पर आने के बाद

घर में चप्पल या जूते पहन कर ना जाए। घर में घुसने से पहले अपने चप्पल जूतों को खोल ले और घर के बाहर ही रख दे, नही तो उसे घर के किसी ऐसी जगह रख दे जहां कोई आता जाता ना हो। अपने समान को डिसइन्फेक्ट करे और किसी अच्छी जगह रख दें। घर में आते ही सबसे पहले अपने हाथ पैर अच्छे से धो लें और नाहा लें। उसके बाद बाथरूम की बाकी चीज़ों को धो ले जैसे नल, दरवाजे का हैंडल। दोबारा से वही कपड़े ना पहने उन कपड़ो को अलग से धो कर अच्छे से धूप में सूखने दें।

कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए:

  • ऊपर बताए गए SMS का ध्यान रहे और दूसरों को भी बताए
  • बार-बार हाथ धोएं। हाथ धोने के लिए, साबुन और पानी या एल्कोहल वाला हैंड रब इस्तेमाल करें।
  • अगर कोई खांस या छींक रहा है, तो उससे उचित दूरी बनाए रखें।
  • अपनी आंखें, नाक या मुंह को न छुएं।
  • खांसने या छींकने पर अपनी नाक और मुंह को कोहनी या टिश्यू पेपर से ढक लें।
  • अगर आप ठीक नहीं महसूस कर रहे हैं, तो घर पर रहें।
  • अगर आपको बुखार, खांसी है, और सांस लेने में परेशानी हो रही है, तो डॉक्टर के पास जाएं. पहले ही कॉल कर लें।
  • स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के निर्देश मानें।


Wednesday, May 27, 2020

भूतिया स्टेशन (Part 1)

Horror Story
भूतिया स्टेशन
डर..... ये एक ऐसा शब्द है जिसे पढ़ते ही मन विचलित हो जाता है। पता नही क्यों लेकिन हमारे मन में बचपन से ही डर बुरी तरीके से बैठा दिया जाता है। 'सो जाओ नही तो भूत आ जायेगा', 'ये खा लो नही तो भूत तुम्हें खा जाएगा', 'जो रोता है भूत उसके पास आ जाता है', 'बाहर अकेले मत जाना भूत घूमता है' और भी बहुत कुछ। जिस उम्र में बच्चों को अपना नाम भी नही पता होता है, खाना क्या तीज है वो तक नही पता होता है, और हम उसे ये सब जरूरी बातें समझाने की जगह भूत के बारे में बताते है। मतलब उन्हें छोटी से छोटी चीज़े कुछ भी नही पता होती, लेकिन भूत के बारे में पता होता है कि भूत एक ऐसी चीज़ है जो बहुत बहुत बहुत ज्यादा खतरनाक है। खुशी क्या होती है दुख क्या होता है ये भी उन्हें नही पता होता लेकिन डर क्या होता है वो 6 महीने के बच्चों को भी अच्छे से पता होता है। जिस उम्र में बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप में मजबूत बनाना चाहिए उस उम्र में रोजाना भूत, आत्मा, चुड़ैल का नाम लेकर, डरावनी कहानी सुना सुना कर हम बच्चो को डरपोक बना देते है। उनके दिल दिमाग में पूरी तरह से डर को बैठा बैठा दिया जाता है।

तो आज की कहानी भी एक डर पे ही आधारित है।

पिछली बार की कहानी (भूतिया मकान) पढ़ने के बाद मेरे एक दोस्त ने अपनी कहानी सुनाई की कैसे डर किसी पर हावी हो जाता है और ये डर उस व्यक्ति से कुछ भी करवा सकता है।

(अब कहानी उसके शब्दों में)

WARNING: Reader's discretion is advised, should not be read by anyone under the age of 12.

मेरी बाहरवीं की परीक्षा होने के बाद मैं कुछ दिनों के लिए गांव चला गया। गाँव में दादा-दादी रहते है। उनकी मदद के लिए दिन में एक नौकर रहता हैं लेकिन हम उन्हें चाचा जी कहते है। फ़ोन पर दादा जी ने बताया था कि हमारे गांव की छोटी रेलवे लाइन अब बड़ी रेलवे लाइन बनने जा रही है इसलिए रेल सेवा बंद कर दी गयी है। इसलिए मैं बस से गांव गया। अब बड़ा हो गया था इसलिए पहली बार अकेले कहि गया था। बस से गांव के नजदीक के स्टैंड पर उतरने के बाद मैंने गांव के रेलवे स्टेशन वाला रास्ता चुना, ये देखने के लिए की काम कैसा चल रहा है। ये क्या! यहां तो कुछ भी काम नही हो रहा, पुराना रेलवे स्टेशन खंडर बन चुका है। पूरा रास्ता शमशान की तरह वीरान पड़ा है। बाद में मैंने दादा जी से पूछा तो उन्होंने बताया कि वहां मजदूरों ने भूत देखा था तब से कोई वहां काम नही करता तुम वहां से क्यों आए? उस रास्ते से कोई आता जाता नही वहां बहुत लोगो ने भूत देखा है! भगवान का शुक्र है कि तुम सही सलामत आ गए अब आगे से उधर मत जाना। ये लाइन सुनते ही मैं अंदर से पूरा कांप गया। पसीने छूट गए, रोंगटे खड़े हो गए कि अगर वहां मुझे भूत मिल जाता तो! बचपन से ही भूत से दुनिया ने इतना डरा रखा था तो ये डर तो लगना ही था। अब पता नहीं क्यों लेकिन मुझे अब रात को हर चीज़ों से डर लगने लगा। ऐसा लगता कि घर के शीशे से मुझे कोई देख रहा है। कानों को छूती हुई हवाएं कुछ बोल रही है। घर की खिड़कियों से कोई अंदर आ रहा है। इन सब बातों पर मेरा ध्यान ना जाए तो मैं फ़ोन चलाने लगता तो अचानक लगता कि कोई मेरे पीछे से मुझे कोई देख रहा है और आचानक से कंधे पर हाथ रखेगा। जैसे ही मैं पलंग से उतरूंगा तो कोई मुझे पलंग के नीचे से खींच लेगा। मेरे घर की छत से वो रेलवे स्टेशन नजर आता है। जब भी मैं अपने छत पर जाता हूं और उस स्टेशन को देखता हूं तो उसे ऐसा लगता है जैसे कोई मुझे वहां से बुला रही है की 'तुम आओ मैं तुमसे मिलना चाहती हूं'। मैंने सोचा कि दादा-दादी को ये बात बता दु लेकिन दिमाग में आया कि वो क्या सोचेंगे? शायद यही मैंने सबसे बड़ी गलती कर दी। एक रात मैं सो रहा था और अचानक मेरे सपने में वही टूटा फूटा रेलवे स्टेशन नजर आता है। वो देखते ही मैं इतना सहम जाता हूं कि मेरी नींद खुल जाती है। पसीने से लत पत जब मैंने घड़ी देखी तो रात के 2 बज रहे थे। मैं पूरा डर चुका हूं, घड़ी की टिक-टॉक टिक-टॉक और डरा रही है। कोई मुझे आवाज दे रहा है। मैं जोर जोर से भागने लगता हूँ। दादा-दादी के कमरे की तरफ नही, उसी रेलवे स्टेशन की तरफ, हां! उसी स्टेशन की तरफ, पता नही क्यों लेकिन मैं भागा जा रहा हूँ। मुझे खुद कुछ समझ नही आ रहा, ना चाहते हुए भी मेरे कदम आगे बढ़ रहे है। जैसे लग रहा है कोई सफेद चीज़ मेरे पीछे पीछे भाग रही है। मेरे हर कदम के साथ वो भी अपने कदम बढ़ा रही है। अब पायल की आवाज मेरे कानों को सुनाई दे रही है। जैसे ही पीछे मुड़ता हूं आवाज गयाब हो जाती है। जो चाँद रोज प्यारा लगता था वो भी आज डरावना लग रहा है। मैं भाग रहा हूं, पायल की आवाज तेज हो रही है। मैं चिल्ला रहा हूं, पायल की आवाज और तेज हो रही है। जैसे जैसे मैं भाग रहा हूं आवाज बढ़ती ही जा रही है। अचानक मैं पीछे मुड़ा! मेरे पीछे कोई नजर नही आ रहा मेरी नजर मेरे घर की तरफ गयी वहां छत स कोई मुझे टाटा कर रहा है। मैं अब फिर स्टेशन की और भागने लगा। कदम लडख़ड़ा रहे है, सांसे अटक रही है, पसीने से पूरा शरीर भीग चुका है। पायल की आवाज अभी भी मेरा पीछा कर रही है। मैं जोर जोर से चिल्ला रहा हूं मगर कोई भी नजर नही आ रहा गले से आवाज भी नही निकल पा रही फिर भी मैं चिल्ला रहा हूं। स्टेशन पर अब मैं पहुच गया। रात अब अपने चरम पर पहुच चुकी है। मुझे ऐसा लग रहा है यहां पर कोई परछाई मुझे देख रही है। अचानक परछाई ने अपनी जगह बदल ली। मैं जल्दी जल्दी अपनी गर्दन घुमा रहा हूं, परछाई फिर मुझे किसी ओर तरफ से देखने लग रही है। मुझे कुछ समझ नही आ रहा क्या हो रहा है। डर पूरी तरह से मुझ पर हावी हो गया है। एक छोटी से आहट से भी सांसे रुक रही है। ऐसा लग रहा है कि स्टेशन की छत पर मुझे कोई बुला रहा है। स्टेशन के छत की सीढ़ियों की और अब मै भाग रहा हूं। अचानक से मैं गिर गया। खड़ा नही हुआ जा रहा। ऐसा लग रहा है जैसे कोई मुझे दबाने की कोशिश कर रहा है। जैसे तैसे मैं उठ गया। फिर चिल्लाते हुए गिरते उठते मैं स्टेशन की छत पर पहुच गया। आंखों में डर, माथे पर पसीना। चारो तरफ बस अंधेरा अंधेरा और अंधेरा। ये क्या! छत पर कोई खड़ा है। डरावना चाँद, पायल की आवाज और ये डरावनी रात, ऐसा लग रहा है जैसे ये पहले भी कभी हुआ है। अब वो छत स कूदने की कोशिश कर रहा है। मैं कांपते कांपते उसकी और बढ़ रहा हूं। ठंडी हवा छू कर निकल रही है तो लग रहा कोई पीछे से आ कर कोई मेरा गला दबा देगा। उसके पास अब मै जैसे तैसे डरते डरते पहुच गया। अब वो कूदने की कोशिश कर रहा है, मैं उसे बचाने की कोशिश कर रहा हूँ। मुझे फिर कुछ समझ नही आ रहा है मैं ऐसा क्यों कर रहा हूँ। लग रहा है जैसे मेरा शरीर अब मेरा नही रहा अब ये किसी और का हो गया है। कहते है रात को आत्माओ की  शक्ति दुगनी हो जाती है और वो आम लोगो की बीच में आ जाती है। जिन्हें पता चल जाये कि आत्मा आस पास है उन पर वो हावी हो जाती है। शायद उस डरावनी रात भी मेरे साथ यही हुआ था। वो कूद गया! उसे बचाने के लिए अब मैं भी कूद गया....! ये क्या! मेरे कूदते ही वो नजर आना बंद हो गया! पायल की आवाज अब जोर-जोर से डरावनी हँसी में बदल गयीं। ऐसे लग रहा है जैसे वो हँसी मुझे कहा रही है कि मैंने अपना काम कर लिया। मैं जमीन पर गिरता हु। आंखे बंद हो रही है और आंखें बंद हो गयी। अब अंधेरा, अंधेरा, अंधेरा और बस अंधेरा.....!

To be continued....


Nitish Kumar
नितीश कुमार

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If someone's story mirrors this, it is just a coincidence.

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Wednesday, May 6, 2020

Love in Train

Love at first sight
Love at first sight

In a train, during my journey,
I saw a girl, sweet as honey.
I can't able to explain her beautiful smile,
I have never seen such a unique hairstyle.
That moment I have only one aim,
How I will ask her name?
Suddenly! That moment one miracle happen,
She questioned me " Can I ask you a Question"
I still have to pinch myself,
How it happened itself?
Now, I'm dreaming my whole life with her,
There is no one in my dream except her.
Suddenly! A clap broke that dream,
"Are you listening me?" She scream.
I nervously nodded my head,
"Now, I don't need any answer from you" she said.
All dreams that moment slipped like a sand,
I understand there is no one to hold my hand.

Nitish Kumar