Wednesday, April 17, 2019

लोगो को बदलते देखा है हमने

जिनके हाथ पकड़कर चलना सीखा,
जिनके कंधो पे चढ़कर दुनिया को देखा,
उन्हें ही घरों से धक्के मारकर,
निकालते देखा है हमने।
लोगो को बदलते देखा है हमने।।

चंद रुपयों के लिए अपनो से झगड़ते,
और गैरो से रिश्ते बनाते देखा है हमने।
मंदिर में लाखों का दान करते,
और फकीरो को गालियां देते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

जिस देश से सब कुछ लिया,
उस देश को ही लूटते देखा है हमने।
जिस भारत माँ ने नाम बनाया,
उनका ही अपमान करते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

जिन शिक्षको से शिक्षा का पाठ लिया,
उन्हें पैसो का पाठ पढ़ाते देखा है हमने।
जिन किताबो से विद्या को लिया,
उन किताबो को फेकते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

जिन संस्कृति से दुनिया में पहचान बनाई,
उन संस्कृति को ही खोते देखा है हमने।
जिन के उपकारों से मंजिल पायी,
उन्हें ही भूलते देखा है हमने।।
लोगों को बदलते देखा है हमने।

जिन के लिए कमाते है देर रात तक,
उनसे ही दो पल बात ना करते देखा है हमने।
लोगो को जन्म से मृत्यु तक,
कई रंग बदलते देखा है हमने।।
लोगो को बदलते देखा है हमने।

नितीश कुमार
Nitish Kumar

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